अपने हक व अधिकारों के लिये लड़ रहे कन्वाई चालकों का महाधरणा 10 माह से जारी, टाटा मोटर्स प्रबंधन, जिला प्रशासन व श्रम अधीक्षक चिर निद्रा में
श्री दर्पण न्यूज, जमशेदपुर : अपने हक व अधिकार के लिये पिछले 10 माह से धरणा पर बैठे कन्वाई चालकों की कोई सुनने वाला नहीं है. इतना जरुर है कि धालभूम की पूर्व एसडीएम पारुल सिंह ने सभी पक्षकारों से वार्ता कर कन्वाई चालकों और टाटा मोटर्स प्रबंधन के साथ वार्ता कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया. कन्वाई चालकों की मांगों को सम्मान के साथ पारुल सिंह ने सहमति पत्र तैयार किये. लेकिन समझौता पत्र पर कार्य शुरु होने के पूर्व ही उनका तबादला हो गया. इस तरह मामला फिर खटाई में पड़ गया और कन्वाई चालकों का धरणा जारी रहा. लेकिन बात तब और बिगड़ गयी, जब धालभूम की नई एसडीएम शताब्दी मजूमदार ने पारुल सिंह द्वारा किये गये समझौते को रद्द कर दिया और कन्वाई चालकों के धरणा को ही अवैध बता दिया. हालांकि कन्वाई चालकों का मनोबल कभी गिरा नहीं और आज भी वे अपने हक और अधिकारों के लिये धरणे पर मजबूती के साथ डटे हैं.
10 माह से चल रहा धरणा टाटा मोटर्स व टाटा धराने का काला अध्याय
धरणे पर बैठे कन्वाई चालक संघ के ज्ञान सागर ने कहा है कि टाटा मोटर्स कंवाई चालकों के हक अधिकार को लेकर 1 मार्च 2024 से जारी धरना यह बताया है कि मजदूर संगठन जिंदा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि 2024 का वर्ष टाटा मोटर्स प्रबंधन और टाटा घराने के लिए काला अध्याय के रूप में जाना जाएगा. अखबारों के माध्यम से टाटा मोटर्स प्रबंधन मजदूर हित में जो भी बातें रख रहा है वह उसे शोभा नहीं देता. उन्होंने धरने पर बैठे साथियों से कहा हम लोगों ने देश के संविधान एवं कानून का सम्मान करते हुए अपनी बातों को हर स्थान पर रखा है. ज्ञान सागर ने अपनी मांगों के सम्बंध में कहा कि हम लोग टाटा मोटर की गाड़ियों को चलते हैं तो हमें एक मजदूर का जो हक है वह मिलना चाहिए. सरकार ने एक चालक की न्यूनतम मजदूरी 840 रुपया तय किया है, जो वेतन टाटा स्टील और अन्य स्थानों पर मिलता भी है.
निर्धारित मानदंडों को भी नहीं मान रहा प्रबंधन
ऐसे में हमें ₹370 क्यों दिये जा रहे ? वेतन का भुगतान बैंक के द्वारा क्यों नहीं किया जाता. ड्राइवर का इंश्योरेंस क्यों नहीं होगा? सालाना बोनस क्यों नहीं मिलेगा? 24 घंटा गाड़ी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के क्रम में कन्वाई चालक काम पर रहते हैं. फिर ओवर टाइम भुगतान , भत्ता, क्यों नहीं. साथ ही कन्वाई चालकों का पीएफ तक जमा नहीं किया जाता. उन्होंने जोर देकर कहा कि अवैध यूनियन कब तक हम लोग पर शासन करेगी? हमारी मांगे मांग नहीं है बल्कि वह पूरी व्यवस्था को चुनौती है. कब तक हम लोगों का शोषण टाटा मोटर्स करेगी.
जिला प्रशासन व श्रम अधीक्षक पर भी खड़े हो रहे सवाल
कन्वाई चालकों के नेता ज्ञान सागर ने कहा कि लगातार 10 महीने में कई दौर का वार्ता-DC,SDO,DLC स्तर हो चुकी कोई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, जो दर्शाता है, कि बेईमानी हो रही है और चालकों की आवाज को दबाने का प्रयास हो रहा है. धरणे पर बैठे कन्वाई चालकों ने कहा कि संगठन 23 दिसम्बर 2024 सोमवार तक इंतजार करेगा. अगर न्याय नहीं मिला तो मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया जायेगा और अपनी बात रखी जाएगी. बात नहीं बनी तो मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई जाएगी। धरणे पर मौजूद कन्वाई चालकों में हरिशंकर प्रसाद ,वीरेंद्र पाठक, ज्ञान सागर प्रसाद के अलावे अन्य मजदूर प्रतिनिधि मौजूद थे.