झारखंड में आदिवासियों को एकजुट कर उलगुलान की शुरूवात करेंगे पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन
श्री दर्पण न्यूज़, जमशेदपुर : झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन पूरे झारखंड में आदिवासियों को एक जुट करने के लिए उलगुलान की शुरुआत करने जा रहे हैं। 10 लाख आदिवासियों को एक जुट कर झारखंड में आदिवासी और माझी परगना को जागरूक करने का काम करते हुए उन्हें उनके अधिकारों के प्रति सचेत करेंगे। उपरोक्त बातें चंपई सोरेन ने आदिवासी सावंत सुनार अखाड़ा द्वारा आयोजित सिद्धू कानू जयंती के अवसर पर कार्यक्रम में कहीं। पूर्व की तरह अपने आक्रामक अंदाज में बातौर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंपई सोरेन ने कहा कि आज आदिवासियों के सामने अपने अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है। अस्तित्व को बचाना आदिवासियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती है और इसे बचाने के लिए उन्हें एकजुट होना होगा। अन्यथा उनकी पहचान, सभ्यता संस्कृति और परंपरा, मान्यताएं सभी मिट जाएगी।
आदिवासियों का अपना अलग धर्म कोड होना जरुरी
श्री सोरेन ने कहा कि देश की आजादी के बाद नागरिकता के आवेदन कॉलम में आदिवासियों का धर्म कोड अंकित किया जाता था। लेकिन अचानक उसे हटा दिया गया। ऐसा देश की तात्कलीन कांग्रेसी सरकार ने आदिवासियों के अस्तित्व और उनके धर्म और पहचान को मिटाने के ख्याल से जानबूझकर किया। तत्कालीन सरकार में मंत्री और मेंबर ऑफ पार्लियामेंट कार्तिक उरांव ने अपना विचार रखते हुए कहा था की आदिवासियों के धर्म कोड को हटाया जाना उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा। लेकिन सरकार ने उनके सुझाव को अनदेखा किया। चंपाई सोरेन ने कहा कि आज झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या गंभीर है। बांग्लादेशी झारखंड की सीमा में प्रवेश कर सीमावर्ती इलाके में आदिवासी महिलाओं और युवतियों को डरा धमका कर उनसे शादी कर रहे हैं। उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
आदिवासियों का धर्म परिवर्तन रोका जाना गम्भीर चुनौती
आदिवासियों के सामने यह एक गंभीर चुनौती के रूप में खड़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे ऐसा होने नहीं देंगे। वे पूरे झारखंड में एक नये आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं। आदिवासियों के जबरन धर्म परिवर्तन को रोका जाएगा। धर्म परिवर्तन करने वाले को आदिवासियों को मिलने वाली आरक्षण सुविधा से वंचित किया जाएगा। उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण दिया जा रहा है। उन्हें नागरिकता प्रदान की जा रही है। वे ऐसा होने नहीं देंगे। वर्तमान सरकार आदिवासियों के आरक्षण को धर्म परिवर्तन करने वालों के बीच बंट रही है। आदिवासियों का अधिकार छीना जा रहा है ।
आदिवासियों की परम्परा को बचाना है : चम्पई सोरेन
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की परंपरा को बचाना है । पूरे झारखंड में उनकी जागरूकता के लिए उलगुलान शुरू किया जाएगा। वे 10 लाख आदिवासियों को इकट्ठा कर जागरूकता अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं और पूरे झारखंड में घूम-घूम कर इस विचार को और आदिवासियों के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले ही अपमानित किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्याग्रह पत्र दे दिया था और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे। वे भाजपा से सरायकेला की अपनी परंपरागत सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और भारी बहुमत से विजय हुए। हालांकि भाजपा की झारखंड में हार हुई और हेमंत सोरेन ने फिर से सरकार बना ली। लेकिन आज चंपई सोरेन मुखर होकर आदिवासियों के संरक्षण, सुरक्षा और उनके अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।