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नमन संस्था के कार्यों पर शहर को गर्व, काले जैसे नेतृत्वकर्ता अंधेरे में दीपक समान : राकेश्वर पांडेय

श्री दर्पण न्यूज, जमशेदपुर: नमन परिवार ने अपनी परंपरा को जारी रखते हुए साकची स्थित कार्यालय में इस वर्ष भी अमर बलिदानी करतार सिंह सराभा के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का नेतृत्व नमन के संस्थापक अमरप्रीत सिंह काले ने किया जिसमें शहर के गणमान्य नागरिकों, महिलाओं और युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध मजदूर नेता राकेश्वर पांडेय ने अपने सम्बोधन में कहा, “करतार सिंह सराभा का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अमूल्य अध्याय है। उनका जीवन हमें कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र सेवा का मार्ग दिखाता है। आज के युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज और देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए।” उन्होंने कहा आज समाज में चारों ओर जो नकारात्मकता फैली है जिससे युवा अंधकार में बढ़ रहे हैं उस हालत में अमर प्रीत सिंह काले उस अंधकार को दूर करने के लिए दीपक की तरह ऐसे कार्यक्रमों द्वारा युवाओं को मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रहे.

करतार सिंह सराभा जैसे अमर बलिदानियों के कारण ही देश आज स्वतंत्र है : अमरप्रीत सिंह काले

इस अवसर पर नमन परिवार के संस्थापक अमरप्रीत सिंह काले ने कहा, “करतार सिंह सराभा का बलिदान इतिहास का एक ऐसा प्रकाशस्तंभ है, जो हमें सिखाता है कि सच्ची देशभक्ति शब्दों में नहीं, कर्मों में निहित होती है। आज हम स्वतंत्र हैं तो इसका श्रेय सराभा जैसे अमर बलिदानियों को जाता है। हमें उनके आदर्शों को अपनाकर समाज और देशहित में कार्य करना चाहिए।”

कार्यक्रम में बृजभूषण सिंह, रामकेवल मिश्रा, वरुण कुमार, राघवेन्द्र शर्मा आदि वक्ताओं ने भी करतार सिंह सराभा के जीवन और बलिदान को याद करते हुए उनके प्रेरणादायक व्यक्तित्व पर विचार साझा किए।

करतार सिंह सराभा बलिदान दिवस पर नमन परिवार द्वारा श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित

कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित सभी लोगों ने “भारत माता की जय” और “करतार सिंह सराभा अमर रहें” के नारों के साथ सराभा जी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया।इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शहर के कई प्रमुख नौजवान साथी , मातृशक्ति बड़ी संख्या मे शामिल हुए। यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि तक सीमित नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आदर्शों को समाज में स्थापित करने का एक सार्थक प्रयास था।

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