एक साथी, सहयोगी और सहपाठी के तौर पर अशोक सिंह से जुड़ी स्मृतियां
श्री दर्पण न्यूज :
बचपन से उनका पड़ोसी रहा. उम्र में मामूली वरिष्ट होने के कारण सीनियर साथियों के साथ उनका रहना, खेलना, घुमना और पढ़ाई जैसे कार्य थे. जहां तक मेरे सम्पर्क की बात है तो मैं उनके छोटे भाई कमलेश सिंह का हमउम्र था. लेकिन अशोक सिंह के साथ भी हस्सी मजाक होना आम बात थी. उदार व्यक्तित्व का धनी यह इंसान कभी कभार ही गुस्से में दिखता था. वह भी तब, जब कोई असहनीय पीड़ा अथआ मानिसक तनाम से ग्रस्त होता था. गम्भीर से गम्भीर बात को हसकर उसे सहज बना देना अशोक सिंह के फितरत में थी. यही वजह थी कि मुह्लले के हर व्यक्ति से उनके व्यक्तिगत रिश्ते थे. आत्मिक सम्बंध था. ऐसा कोई नहीं था, जो उन्हें नापसंद करता हो. उनका समाजिक सदभाव और समाजिक दायरा लम्बा चौड़ा था. किसी परिचित के निधन की बात अशोक सिंह के कान तक पहुंच जाये और वे उनकी अंतिम यात्रा में शामिल न हो, ऐसा हो नहीं सकता था. कई ऐसे मौके आये जब अशोक सिंह के साथ किसी बात को लेकर हसने व बोलने में खुब आनंद आया. पुरानी स्मृतियों को वर्तमान से जोड़कर बाते बनाना और साथियों को हसना उनके जीवन का शानदार पहलू रहा. आपके निधन से मुझे गहरा आघात लगा है जिसने मेरी आत्मा को झकझोर कर रख दिया है।
सुंदर, सौठ, सलील, चमक,दमक शरीर वाले अशोक सिंह मृदभाषी, परोपकारी, सरोकारी, हंसमुख, मिलनसार, आदर्शवान सुख-दुख में शामिल होने वाले इंसान थे. जब भी मौका मिला अथवा हमने उनको याद किया, घर पर पहुंचे. समस्या सुनी और उसका समाधान भी निकाला. चक्कर आने वाली बीमारी से पूर्व मेरे घर के सामने से दिन से रात तक चार-पांच मर्तबा गुजरना, हर बार समाचार पूछना, उनकी आत्मीयता व निकटता को रेखांकित कर गया. उनके साथ बिताये गये पल कभी न भूलने वाले हैं. उनके निधन के समाचार से भउक हो गया. इधर-उधर भागदौड़ की जिंदगी से परेशान था, जिस कारण उनके अंतिम संस्कार में भाग नहीं ले पाया. जिसे यादकर गमगीन हो गया. अशोक सिंह आप कभी न भूलने वाले इंसान, होने के साथ-साथ मेरे सहपाठी भी बने. आपने एनएसयूआई से जुड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुवात की. भाजपाई मानसिकता वाले होने के बावजूद आपसे कभी मेरा मनभेद नहीं रहा. आपने कांग्रेस में रहते हुये अच्छाईयों को नि:संकोच स्वीकारा, जो आपके विशाल व्यक्तित्व को इंगित करता है. अपनी अभिव्यक्ति को विराम देने के पहले आपको सच्ची श्रद्धांजलि. भागवान आपको बैकुंठ में स्थान दे. यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है.
रामकंडे मिश्रा, स्मृतियां