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कोयलांचल से कोल्हान आएगा पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन का उलगुलान अभियान, आदिवासियों और मूलवासियों को जगाना है, उनके वजूद को बचाना है- चंपई सोरेन

श्री दर्पण न्यूज, जमशेदपुर : हमने आदिवासियों को जगाने के साथ-साथ उलगुलान अभियान की शुरुआत कर दी है. झारखंड के बोकारो में आदिवासी व मूलवासियों की सभा की गई. समाज के लोगों से मिला और उन्हें जल-जंगल-जमीन के साथ-साथ रीति रिवाज, मान्यताएं और प्राचीन समय से चली आ रही परंपराओं को पुनर्जीवित करने के प्रति आगाह किया. मैंने आदिवासियों के हित की लड़ाई अपने शुरुआती जीवन से ही लड़ी है. मैंने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी. संघर्ष किया. यातनायें सही. तब जाकर हमें अलग झारखंड राज्य प्राप्त हुआ. हम आदिवासी और मूलवासियों के उत्थान व हितों के लिये सर्वस्व त्याग कर सकते हैं. उपरोक्त बातें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने जमशेदपुर परि सदन में पत्रकारों से एक संक्षिप्त बातचीत के दौरान कही. उन्होंने कहा कि यह अभियान अगले छह माह तक चलेगा. उसके बाद 10 लाख आदिवासियों व मूलवासियों के साथ उलगुलान को मजबूती प्रदान की जायेगी.

समाज को जागरुक नहीं किया गया तो ढाचा ही बिगड़ जायेगा

पूर्व सीएम चम्पई सोरेन ने आगे कहा कि आज आदिवासी व मूलवासियों की समाजिक स्थिति कमजोर हुई हुई है. अगर उसे मजूबत नहीं किया गया तो उसका समाजिक ढाचा ढह जायेगा. फिर उसका कोई मतलब नहीं रह जायेगा. ऐसी हालत नहीं हो, इसके लिये समाज को जगाने की जरुरत है. हम इसके लिये काम कर रहे हैं. झारखंड में घुसपैठ और धर्म परिवर्तन की समस्या भी गंभीर है. आदिवासियों का जहरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. इस दौरान पूर्व सीएम ने बड़ा खुलासा किया, उन्होंने बताया कि कपाली व बावनगोड़ा में 150 आदिवासी व मूलवासी परिवार कहां है पता नहीं. जो गम्भीर विषय है.

आदिवासी व मूलवासियों की बहू बेटियों की इज्जत दांव पर

उन्होंने कहा कि आज आदिवासी व मूलवासियों की बहू बेटियों की इज्जत दांव पर है. इसको लेकर वर्तमान सरकार चूप है. वह तो सीएनटी एक्ट में छेड़छाड़ कर रही है. उन्होंने कोल्हान के सरायकेला और उसके आसपास के क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन पर कहां-कहां से लोग आकर अपना आवास और बंगला बनवा रहे हैं. यह बात समझ से परे है. आज आदिवासी समाज अपने वजूद और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. अगर आदिवासी और मूलवासी समाज सचेत नहीं हुआ तो एक समय यह भी आएगा जहां सरणा और जहेर स्थल पर आदिवासी नहीं मिलेंगे.

आदिवासियों के आरक्षण का हक धर्म परिवर्तन करने वाले मार रहे

चंपई सोरेन ने जोर देकर कहा कि आदिवासियों की जल, जमीन और जंगल की रक्षा वे हर हाल में करेंगे. आरक्षण का लाभ आदिवासी समाज को ही मिलना चाहिए. धर्म परिवर्तन कर जो लोग दूसरे धर्म में जा चुके हैं उन्हें आदिवासियों के रिजर्वेशन का लाभ बिल्कुल नहीं मिलना चाहिये. सरकार उन्हें आदिवासियों के रिजर्वेशन का लाभ दे रही है. वे ऐसा नहीं होने देंगे. चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों को जागरूक करने का उनका अभियान शुरू हो चुका है. निश्चित रूप से वे 10 लाख आदिवासियों के साथ में पूरे राज्य में उलगुलान करेंगे, ताकि आदिवासियों के हितों  और उनके अस्तित्व की रक्षा की जा सके. चम्पई सोरेन ने वर्षों पुरानी उस बिल का भी जिक्र किया, जिसमें भारत के तात्कालीन सरकार के 322 सांसदों और 26 राज्य सभा सदस्यों ने आदिवासियों की परंपरा और जंगल जल जंगल जमीन की सुरक्षा के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये थे, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसकी अनदेखी की.

कोयलांचल के बाद कोल्हान में उलगुलान

उन्होंने एक बार फिर से कार्तिक उरांव का नाम लिया और कहा कि उन्होंने तत्कालीन सरकार को आदिवासियों के हितों की रक्षा का सुझाव दिया था. चंपई सोरेन ने कहा की आने वाले दिनों में वे चाकुलिया, जमशेदपुर के पटमदा, बोड़ाम समेत डुमरिया और घाटशिला क्षेत्र का दौरा करेंगे और आदिवासियों को जागरूक करने का काम करेंगे. उसके बाद अभियान कोल्हान के चाईबासा, सरायकेला क्षेत्र में चलेगा. उसके बाद समाज को संगठित कर बड़े पैमाने पर उलगुलान चलाया जायेगा. राजनीतिक के गलियारे से सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने वाले चम्पई सोरेन ने कहा कि उनकी माटी संघर्ष की है और वे आजीवन आदिवासियों और मूल वीडियो के लिए संघर्ष करते रहेंगे उनके हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे.

एक सवाल के जबाव में उन्होंने जेएमएम के महाधिवेशन पर कटाक्ष करते हुये कहा कि उसकी प्रस्तावना ही दूसरे दर्जे पर खड़ा करती है. वैसे वे यह करते हुये चले कि आप लोगों तो सब कुछ जान ही रहे हैं. अपनी वेबाक टीप्पणियों के लिये जाने जाने वाले पूर्व सीएम बड़े उत्साहित व खुशमिजाज दिखे.

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