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डीएलएसए न्याय सदन में मोटर एक्सीडेंट क्लेम केस पर कार्यशाला का आयोजन, पुलिस अनुसंधानक के अलावे रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के इंजीनियर और डीएलएसए के अधिवक्ताओं ने लिया हिस्सा

श्री दर्पण न्यूज़, जमशेदपुर : शुक्रवार को पूर्वाहन 10:30 बजे न्याय सदन, जिला सेवा प्राधिकार, व्यवहार न्यायालय, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर में District Level Workshop on Motor Accident cases से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें डीएलएसए के सचिव धर्मेंद्र कुमार के अलावा जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमरमणि त्रिपाठी और मंजू कुमारी ने भी भाग लिया। इसके अलावे मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर, रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्मेंट के इंजीनियर, शहरी क्षेत्र के विभिन्न थानों के अनुसंधानक और डालसा के अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया।

डालसा सचिव धर्मेंद्र कुमार ने दी उपस्थित समूह को कानून की बारीकियों की जानकारी ताकि पीड़ित को समय पर मिल सके मुआवजा

उपस्थित समूह को संबोधित करते हुए डालसा सचिव धर्मेंद्र कुमार ने मोटर एक्सीडेंट से जुड़े विभिन्न कानूनी पहलुओं की अनुसंधानकों को जानकारी दी। उन्होंने एक्सीडेंटल मामले में अनुसंधान की निर्धारित समय सीमा, नियम और कोर्ट में चार्जसीट दाखिल कर दिए जाने से संबंधित जानकारी भी दी। प्रभावित व्यक्ति को मुआवजा दिलाने और उसकी कौन-कौन सी प्रक्रिया है इस बारे में भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। सचिन ने बताया कि बहुत से ऐसे मामले आते हैं जिनमें विक्टिम को इसकी जानकारी नहीं हो पाती कि उसे कैसे और कानून के किस परिधि में रहकर मुआवजा का लाभ मिलेगा। जानकारी के अभाव में लोग मुआवजा से वंचित रह जाते हैं । इसके लिए समय-समय पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यशाला आयोजित की जाती है और लोगों को इस संबंध में जागरूक किया जाता है। अवेयरनेस किया जाता है और विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी जाती है।

ड्राइवर की लापरवाही से हुई घटना पर मृतक के आश्रित को मिलते हैं ₹500000 का मुआवजा

उन्होंने बताया कि अगर ड्राइवर की लापरवाही से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो मृतक के परिजनों को 5 लख रुपए तक का मुआवजा का प्रावधान है। जहां तक सामाजिक सुरक्षा की बात है तो सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेवारी सरकारी बीमा कंपनियां की होती है। पुलिस की ड्यूटी होती है कि वह आवेदक और वाहन मालिक को कोर्ट में प्रस्तुत करें, ताकि मामले के निपटारे में अनावश्यक विलंब ना हो और कोर्ट का भी समय बर्बाद ना हो। साथी पीड़ित को मुआवजे की राशि समय पर मिल जाए। विधिक सेवा प्राधिकार का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें सस्ता और सुलभ न्याय उपलब्ध कराना भी है। उन्होंने बताया हिट एंड रन जैसे मामलों में यानी जिस दुर्घटना में वाहन का कुछ पता ना चल पाए वैसे मामले में भी विक्टिम को ₹200000 तक के मुआवजे का प्रावधान है।

एक्सीडेंटल मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के नई गाइडलाइन

साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के नए संशोधन में कई आदेश और निर्देश आए हैं जिसका अनुपालन किया जाना आवश्यक है। सचिन ने इस संबंध में भी अनुसंधानको और पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी। साथ ही अधिवक्ताओं को भी रोड एक्सीडेंट के मामलों में पीड़ित का पक्ष रखने के लिए कानून की विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी गई।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश – सभी जिलों में हो एक्सीडेंटल थाने की स्थापना, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की, की जाए प्रतिस्थापन

सचिन धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का हाल फिलहाल एक डायरेक्शन है जिसके तहत सभी जिलों में एक्सीडेंटल थाना की स्थापना और उसमें कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग के निर्देश भी दिए गए हैं। लेकिन अभी तक इन निर्देशों पर अमल नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि जो भी एक्सीडेंटल केस होते हैं और मुआवजे से संबंधित आदेश निर्देश होते हैं यह आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दिए जाते हैं। एक्सीडेंटल मामले में क्लेम कैसे निर्धारित होता है इसकी भी जानकारी उपस्थित समूह को दी गई ताकि इस तरह के मामलों में कोर्ट को भी अपना निर्णय देने में सहूलियत हो और पीड़ित व्यक्ति को कम समय में ही उसके मुआवजे का भुगतान हो सके।

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