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नेताजी के रहते देश आजाद होता तो भारत बंटा नहीं होताः सरयू राय

श्री दर्पण, जमशेदपुर: पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि अगर नेताजी भारत को आजाद कराने में सफल हो गये होते तो आज देश बंटा नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि 1937 में नेताजी ने अपना जो प्लानिंग कमीशन बनाया था, उसके हिसाब से देश चलता तो ज्यादा विकास करता, ज्यादा आगे बढ़ता। नेताजी की स्मृति दुनिया के प्रायः हर देश के निवासियों में है। आप अंदाजा लगाएं कि जिस वक्त भारत में संचार के इतने साधन नहीं थे, न सबके पास रेडियो और न ही टेलीफोन था, उस दौर में भी भारत का बच्चा-बच्चा नेताजी के बारे में जानता था। इससे पता चलता है कि नेताजी अपने दौर में कितने लोकप्रिय थे।

यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस मैदान, आम बागान, साकची में नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने और उनके महान स्वतंत्रता अभियान की चित्र-पट्ट विवरणिका का उद्घाटन करने के बाद सरयू राय ने कहा कि गांव-गांव के लोगों को मालूम था कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की है और देश को आजाद कराने के लिए वह निकल पड़े हैं। चित्र-पट्ट विवरणिका विधायक निधि से बनाई गई है।

नेताजी की योजना से देश चलता तो आज ज्यादा विकसित होता

श्री राय ने कहा कि हम लोग नेताजी को अपनी प्रेरणा के रुप में याद करते हैं। उनका कोई विकल्प तो हो ही नहीं सकता। इसलिए हम लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने कहा कि नेताजी जिस तरीके से आगे बढ़ रहे थे, वह काबिले तारीफ है। यह दुर्भाग्य था कि 1945 में नागासाकी-हिरोशिमा पर अमेरिका ने एटम बन गिरा दिया अन्यथा भारत बहुत पहले आजाद हो गया होता। जय हिंद और तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, यह उनका नारा था जो आज तक लोगों की जुबान पर है।

श्री राय ने कहा कि अब इस मैदान का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस मैदान हो गया है। टाटा स्टील ने कितने मैदान जेवलप कर दिये लेकिन इस मैदान को टाटा स्टील ने यूं ही छोड़ दिया। इस मैदान को विकसित करना चाहिए। यहां जो सीढ़ियां लगी हैं, वो बेहद ऊंची हैं। चढ़ने-उतने में लोगों को तकलीफ होती है। हम लोग इसे सही करेंगे। पूरे मैदान का सौंदर्यीकरण करेंगे। उनकी इच्छा है कि इस मैदान पर लाइट एंड साउंड का प्रोग्राम चलना चाहिए। उस प्रोग्राम में हम लोगों को नेताजी के बारे में बताएंगे। 30 मिनट का प्रोग्राम हो। उस प्रोग्राम में नेताजी ने क्या-क्या किया, क्या उनका योगदान रहा, उनकी क्या दूरदृष्टि थी, इन चीजों का उसमें समावेश हो। लोग आएं और उसे देखें।

सरयू राय ने इस मैदान की खस्ताहालत पर चिंता जताई और कहा कि वह पांच साल के लिए पूर्वी में क्या चले गये, लोगों ने इसे यूं ही छोड़ दिया। एक बाउंड्री तक नहीं हुई। यह मैदान है या कबाड़खाना, कोई भी देख कर बता सकता है। श्री राय से एक सज्जन ने आग्रह किया कि शहर के किसी एक लेन का नाम नेताजी के नाम पर होना चाहिए। इस पर श्री राय ने कहा कि वह इस मुद्दे पर प्रशासनिक अधिकारियों से बात करेंगे।

इस मौके पर शेखर डे, राजू दत्ता, सुबोध श्रीवास्तव, मनोज सिंह, अजय श्रीवास्तव, मुकुल मिश्र, आशुतोष राय, सुरंजन राय, हरेराम सिंह, पप्पू सिंह, राजीव सिंह, भीम सिंह, अमरेंद्र पासवान, राघवेंद्र सिंह, सुनील सिंह, रविशंकर सिंह, विवेक पांडेय, निखार सबलोक, नीरू सिंह, उषा यादव, राजपति देवी, डॉ जेपी महतो, विश्वजीत सिंह, मनकेश्वर चौबे, शशांक शेखर, उत्तम भगत, अमित शर्मा, मुन्ना सिंह, कुलविंदर सिंह पन्नू, निर्मल सिंह आदि मौजूद रहे।

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