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विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जिला वन विभाग ने आयोजित किया रन फॉर एनवायरनमेंट, ड्रोन के जरीये सीड्स बॉल्ब गिराकर दुर्गम स्थलों पर होगा वनों का विस्तार

श्री दर्पण न्यूज,, जमशेदपुर  : जमशेदपुर के सोनारी सर्किट हाउस एरिया स्थित डिस्टिक फॉरेस्ट ऑफिसर के कार्यालय से चलकर बिस्टुपुर मुख्य गोल चक्कर तक आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर रन फॉर एनवायरनमेंट का आयोजन किया गया. जिसमें शहर के युवाओं, बुजूर्गो, किशोरों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया. जिला उपयुक्त करण सत्यार्थी, डीएफओ सब्बा आलम और फॉरेस्ट रेंजर दिग्विजय और वन विभाग के कर्मचारियों ने भी इस कार्यक्रम में सहभागिता दर्ज कराई.

पर्यावरण संतुलन के लिये वृक्ष जरुरी : उपायुक्त

इस मौके पर उपायुक्त ने संवाददाताओं को बताया कि आज जीवन के साथ पर्यावरण भी जुड़ा हुआ है. इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा करनी है. एक शुद्ध वातावरण के निर्माण के लिये हमे पर्यावरण को बचाना है. हवा जल जंगल और जमीन की सुरक्षा और रक्षा वृक्षारोपण से ही संभव है. हम पर्यावरण और जमीन आसमान के बीच संतुलन पौधा रोपण के माध्यम से ही बना सकते हैं. पर्यावरण के लिये वृक्ष जरूरी है. इसलिए आज पूरे जिला भर में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए.

दुर्गम स्थलों पर होगा वृक्षारोपण : सब्बा आलम 

इस मौके पर जिला वन पदाधिकारी सब्बा आलम ने बताया कि जिले में एक विशाल वन क्षेत्र है. जिसमें कई तरह के जंगली जानवरों का निवास होता है. यह जंगल हाथियों के लिये विख्यात हैं. पहाड़ों के साथ-साथ घने जंगलों, पानी और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है. उन्होंने बताया कि घनघोर जंगलों के बीच पहुंचकर वृक्षारोपण करना कठिन कार्य है. इसलिए वन विभाग ने एक योजना बनाई है, जिसके तहत ड्रोन से बीज बल्ब को घने जंगलों के बीच गिराया जाएगा. यह बल्ब खाद और बीज से तैयार किए गए होंगे. जहां भी यह बल्ब गिरेंगे कुछ ही समय के उपरांत पौधे का रुप ले लेंगे और पौधा वृक्ष का रूप ले लेंगे. यह कार्य बड़े पैमाने पर किए जायेंगे. इसका उद्देश्य हाथियों के लिये निवाला तैयार करना भी है.

सीड्स बॉल्ब व ग्रास ग्राउंड से हाथियों व जंगली पशुओं के भोजन की होगी व्यवस्था  

उन्होंने बताया कि पशुओं की सुरक्षा के लिए जंगल क्षेत्र में विशाल ग्रास ग्राउंड का भी निर्माण करने की वन विभाग की योजना है, ताकि बड़े-बड़े घास पैदा किया जा सके. जिससे हाथियों और छोटे पशु भी खा सकते हैं उन्होंने बताया की बल्ब से हम पर्यावरण को एक मजबूती प्रदान करेंगे और मानव जीवन और पर्यावरण के बीच एक संतुलन भी तैयार होगा. उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम पूरे वन क्षेत्र चांडिल ईचागढ़, दलमा रेंज, चाकुलिया और धालभूमगढ़ क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर किए जाएंगे.  सब्बा आलम ने बताया की कई ऐसे दुर्गम स्थल हैं जहां वृक्ष कम पड़ गए हैं. हाथियों को अपने भोजन के लिये जंगल से बाहर निकलना पड़ता है. अपने भोजन के लिए इसलिए वन विभाग ने यह योजना तैयार की है, जिसे व्यापक रूप दिया जाएगा.

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